छत्तीसगढ़ी शायरी महफिल | हिंदी शायरी महफिल
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छत्तीसगढ़ी शायरी महफिल | chhattisgarhi shayari mahafil
कभू चटकन उबाहूँ त
मुस्कुरा के गोठिया देबे
भुला जाहँव रिस-पित ल
मया के गोठ गोठिया देबे
बेस्ट छत्तीसगढ़ी शायरी महफिल
अरे छत्तीसगढ़ वालो के चेहरे पे हमेशा स्माइल रहती है
तभी तोह सारी दुनिया कहती है छत्तीसगढ़िया सबले बढिया
छत्तीसगढ़ी शायरी महफिल | हिंदी शायरी महफिल

बुलाती है मगर जाने का नहीं
छत्तीसगढ़ी शायरी महफिल
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुज़र जाने का नहीं
ज़मीं भी सर पे रखनी हो तो रखो
चले हो तो ठहर जाने का नहीं
सितारे नोच कर ले जाऊंगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं
वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नहीं
वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नहीं
सिर्फ खंजर ही नहीं आँखों में पानी चाहिए,
छत्तीसगढ़ी शायरी महफिल
ऐ खुदा दुश्मन भी मुझको खानदानी चाहिए
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिआ,
एक समन्दर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।
सिर्फ खबरों की ज़मीने देके मत बहलाइये
राजधानी दी थी हमने, राजधानी चाहिए




हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं
छत्तीसगढ़ी शायरी महफिल
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं
जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते है ख़ामोशी
जो आँखों में दिखाई दे उसे तूफान कहते है
जो ये दीवार का सुराख है साज़िश का हिस्सा है
मगर हम इसको अपने घर का रोशनदान कहते हैं
ये ख्वाहिश दो निवालों की हमें बर्तन की हाजत क्या
फ़क़ीर अपनी हथेली को ही दस्तरख्वान कहते हैं
मेरे अंदर से एक-एक करके सब कुछ हो गया रुखसत
मगर एक चीज़ बाकी है जिसे ईमान कहते हैं
गुलाब ख़्वाब दवा ज़हर जाम क्या-क्या है
छत्तीसगढ़ी शायरी महफिल
मैं आ गया हूँ बता इन्तज़ाम क्या-क्या है
फक़ीर शेख कलन्दर इमाम क्या-क्या है
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या है
अमीर-ए-शहर के कुछ कारोबार याद आए
मैँ रात सोच रहा था हराम क्या-क्या है




अगर खिलाफ है होने दो जान थोड़ी है,
छत्तीसगढ़ी शायरी महफिल
ये सब धुँआ है कोई आसमान थोड़ी है |
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में,
यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है |
हमारे मुह से जो निकले वही सदाकत है,
हमरे मुह में तुम्हारी जबान थोड़ी है |
मै जानता हूँ कि दुश्मन भी कम नहीं है,
लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है |
आज शाहिबे मसनद है कल नहीं होंगे,
किरायेदार है जात्ती मकान थोड़ी है |
सभी का खून है शामिल इस मिट्टी में,
किसे के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है |