छत्तीसगढ़ी रामायण शायरी | छत्तीसगढ़ी मंच संचालन शायरी
मंच को संचालित करना भी एक कला का एक अद्भुत प्रदर्शन होता है. जहाँ एंकर अपने कला के जरिया समा को बंधा कर रखता है. जहा जोश और जुनून के साथ बुद्धी के तत्परता की भी जरुरत होती है, और ऐसे कई प्रोग्राम होते है. हमारे छत्तीसगढ़ मैं जैसे : रामयण , जस गीत प्रतियोगिता, अन्य कई तरह के प्रोग्राम हमारे छत्तीसगढ़ राज्य मैं समय -समय पर करया जाता है. जहाँ मंच संचालन के लिए हम अक्सर देखते है बहूत से खास मौको पर आयोजित कार्यक्रम मे जहा शुरुवात ही मंच संचालन से होता है और ये जितना जानदार और शानदार रहता है उतनी ही कार्यक्रम की रंगत मे चार चांद लग जाते है.
मंच संचालक मे कुछ खास बातो की अह्मियत होती है. जहा एक तरफ ना ही दर्शक उब जाये बल्की और दिलचस्पी से मनोरंजन का मजा लेने मे व्यस्त हो, तो दुसरी तरफ जिस मक्सद से कार्यक्रम का आयोजन हुआ है वो भाव या मक्सद उन तक सही तरीके से पहुच पाये। ऐसे ही कुछ खास मंच संचालन छत्तीसगढ़ी शायरी , छत्तीसगढ़ी रामायण शायरी के लिये इस्तेमाल करने लायक शायरी को यहा आपके लिये लायें है, हमे पुरा विश्वास है आप सभी को यह पढने मे बहूत मजा आयेगा
छत्तीसगढ़ी मंच संचालन शायरी

“ठीक नई हे कहना मोर सबले बार-बार ,ताली गूँजय चारो ओर हर परस्तुति के बाद।
सुख्खा सुख्खा बइठे म नई कटय कोई रात, जोरदार बाजदेव ताली त तब बनय कोई बात”
“ताली बजावा दुनों हाथ उठाके, हमर हौसला बढ़ावा जी
मजा लेवा हमर प्रोग्राम के,साथ हमर निभावा जी”
“कान,बिना बाली के, ससुरार,बिना सारी के
परस्तुति बिना,ताली के, उहू का काम के
त एक बार जोर से ताली बजा देवा”
“कइसे बइठे हौ अल्लर असन,थोरकन अपन मया दिखावा
परस्तुती पसन्द आइस हो ही त,ताली तो जरूर बजावा”
“ताली अइसे बजावा के, ये रात तको होश म आ जाय
उठ बइठें ऊँघईया मन ह,सब्बो कलाकार जोश म आ जाय”
आज के दिन हा बहुत निराला हे, आज तो संगीत के धार बरसने वाला हे
एक बार जोरदार ताली बजादेव संगवारी हो काबर के कार्यक्रम शुरू होने वाला हे
कलाकार अपन कला दिखाही,आपमन के मन के
सुक्खा सुख्खा मजा नई आवय संगवारी हो ताली तो बजावा देव थोरकन तन के
नीम के पेड़ हा चंदन से का कम हे
नीम के पेड़ हा चंदन से का कम हे
छत्तीसगढ़ हमर का लंदन से का कम हे
छत्तीसगढ़ी रामायण शायरी




मन में मैल भरे हे प्राणी
तन उजराये ले काय होही
पाप भरे तोर अंतस भीतर
त गंगा नहाय ले का होही
माते रहिथस रोज गांजा दारू म
त रामायण सुने ले का होही
एक बार कहुँ दे देस धोखा त
भरोसा देवाय ले का होही
मितान के तैंहा मितानी नई जाने
मितान बधे ले का होही
मन मा तोर दलिद्री भरे हे त
उपास रेहे ले का होही
दान दिये तैं अखर के संगी त दान
दिये ले का होही
सत्संग म कभू बैठे नहीं त
संत बने ले काय होही
Chunav shayari – Chunav Shayari in Hindi
मैं उम्मीद करथव की संगवारी हो आप मन ला ये हमर छत्तीसगढ़ी मंच संचालन शायरी अउ छत्तीसगढ़ी रामायण शायरी पसंद आये होही
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* जय जोहर जय छत्तीसगढ़ *